"तितली की उड़ान"
" होती है तमन्ना तितली की यही,
उड़ने का उसको आधार मिले,
जो भी देखे सपना वो,
कुछ हद तक तो साकार मिले,
हसरत को दिल में रखकर,
वो अपने पंख फैलाती है,
हर फूल की मासूमियत को ,
महसूस वो करके आती है!!
बेचारी तितली नहीं जानती,
जीवन उसका छोटा है,
इस दुनिया में मासूमियत नही,
लोगों का मन् ही खोटा है!
जब किसी दिन वो अपने ,
रंग बिरंगे पर फैलाएगी,
किसी के हाथों से मसल दी जायेगी!!!
खूबसूरत अरमानों की कमी नही है दुनिया में,
अंधेरे के शमशानों की भी कमी नही है दुनिया में!
जीवन है छोटा तो क्या हुआ??
हसरतें हैं बाकी तो -
आकाश है विस्तृत, तितली की उड़ान का कोई अंत नही,
उड़ती वो उड़ती ही जायेगी,किसी के हाथों में नहीं आएगी.....................